Monday, 26 September 2016

ग़ज़ल-"बेवफा प्यार"

ग़ज़ल-"बेवफा प्यार"
मैंने जिसे प्यार सुब्हा शाम लिखा है |
उसने मुझे मौत का पैगाम लिखा है ||
जिसके लिए हम वफ़ा की राह चले थे |
उसने मुझे आंसुओं का जाम लिखा है ||
हर इक सजा प्यार की मंजूर मुझे थी |
मेरी वफ़ा का दर्द मेरे नाम लिखा है ||
करना नहीं बेवफा से प्यार कभी तुम |
यह "हिन्द" ने प्यार का अन्जाम लिखा है|| 

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