Monday, 26 September 2016

चलो अब प्यार से

चलो अब प्यार से जीने का रस्ता बनाते है |
वफ़ा अब साथ रखने का एक बस्ता बनाते है ||
बदल जाता नहीं रिस्ता कितना दूर हो कोई |
चलो हम आज रिस्तो का गुलदस्ता बनाते है ||
अगर दिल से मिले हो दिल हाथों को मिलाना क्या |
गमो को दूर करने का अब रस्ता बनाते है ||
जहां सब साथ रहते हों मिलकर हिन्द के बेटे |
चलो अब "हिन्द" की बातों का दस्ता बनाते है ||
बी.के.गुप्ता"हिन्द"
मोब-9755933943

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