Tuesday, 2 February 2016

अंतराष्ट्रीय ग़ज़लों के साझा संकलन "गुलदस्त ए ग़ज़ल" के पेज १४२,१४३,१४४ में छपी मेरी ५ गज़लें आप सब की खिदमत में पेश हैं





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