Friday, 1 April 2016

एक मतला दो शेर -

एक मतला दो शेर -
सच नहीं बदलता है फूट के आगे |
एक सच है भारी सौ झूठ के आगे ||
गुनाह हो रहा है रिश्वत के नाम पर |
रो रहा गरीब शूट-बूट के आगे ||
क्या पता था प्यार हमें मिल न सकेगा |
घर ही विखर जायेंगे टूट के आगे ||
बी.के.गुप्ता"हिन्द"
मोब-9755933943

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