ग़ज़ल-"वफ़ा की राह"
1222 1222 1222 12
वफ़ा की राह में तन्हाईया भी मिलती है |
गमो के साथ में शहनाईयां भी मिलती है ||
करें जो प्यार तो ये चूड़ियाँ भी बजती है |
तभी तो प्यार में बदनामियाँ भी मिलती है ||
गमों में प्यार की हम लोरियां भी लिखते हैं |
पढ़ो एकबार तो गहराईयां भी मिलती है ||
खफा तो आजकल एक दूसरे से हैं सारे |
तभी तो हर जगह खामोशियां भी मिलती है ||
वफ़ा के नाम से अब हमको भी डर लगता है |
यहाँ तो इश्क में रुसवाईयाँ भी मिलती है ||
कहा है"हिन्द" ने ग़ज़लों को अपनी भाषा में |
सुनो तो प्यार की सच्चाइयां भी मिलती है ||
रचनाकार-
बी.के.गुप्ता"हिन्द"
1222 1222 1222 12
वफ़ा की राह में तन्हाईया भी मिलती है |
गमो के साथ में शहनाईयां भी मिलती है ||
करें जो प्यार तो ये चूड़ियाँ भी बजती है |
तभी तो प्यार में बदनामियाँ भी मिलती है ||
गमों में प्यार की हम लोरियां भी लिखते हैं |
पढ़ो एकबार तो गहराईयां भी मिलती है ||
खफा तो आजकल एक दूसरे से हैं सारे |
तभी तो हर जगह खामोशियां भी मिलती है ||
वफ़ा के नाम से अब हमको भी डर लगता है |
यहाँ तो इश्क में रुसवाईयाँ भी मिलती है ||
कहा है"हिन्द" ने ग़ज़लों को अपनी भाषा में |
सुनो तो प्यार की सच्चाइयां भी मिलती है ||
रचनाकार-
बी.के.गुप्ता"हिन्द"
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