Friday, 29 April 2016

गीत-"रिश्वत की जुबानी"

गीत-"रिश्वत की जुबानी"
सत्ता के नाम रिश्वत भत्ता के नाम रिश्वत |
विदेशों में जमा है काले-धन के नाम रिश्वत ||
१-रिश्वत भी कह रही है कब तक चलूंगी मैं,
चलती हूँ हर जगह क्यों थकती नहीं हूँ मैं |
चलती रहेगी कब तक इस देश में रिश्वत ,
सत्ता के नाम रिश्वत भत्ता के नाम रिश्वत ||

२-चलती हूँ लिफाफों में मैं उपहार की तरह,
आती हूँ चली जाती हूँ बहार की तरह |
कहने लगे हैं लोग मुझे आज की किस्मत,
सत्ता के नाम रिश्वत भत्ता के नाम रिश्वत ||
३-मुझको लेने-देने वाले अब नहीं है कम,
आने से मेरे खुशियां है जाने से मेरे गम |
कहने लगे है लोग मुझे प्यार से रिश्वत ,
सत्ता के नाम रिश्वत भत्ता के नाम रिश्वत ||
रचनाकार-
बी.के.गुप्ता"हिन्द"

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